संवाददाता विकास गौतम
नर्मदापुरम।
मां नर्मदा जयंती महोत्सव का आयोजन श्रद्धा, उमंग और भव्यता के साथ संपन्न हुआ। दो दिवसीय नर्मदा जयंती महोत्सव एवं नर्मदापुरम गौरव दिवस सोमवार से प्रारंभ हुआ, जिसमें भव्य शोभायात्रा, महा अभिषेक, दीपदान, भजन, नृत्य नाटिका, आतिशबाजी और विकास कार्यों के लोकार्पण के साथ पूरा शहर भक्ति और उल्लास से सराबोर नजर आया।
मुख्य आयोजन सेठानी घाट पर संपन्न हुआ, जहां मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जल मंच से मां नर्मदा का महा अभिषेक किया और प्रदेशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा,
“जहाँ स्वयं इंद्र भी आने को तरसते हैं, ऐसी पुण्यभूमि को प्रणाम करता हूँ। तीर्थ यात्रा भी ईश्वर की इच्छा से होती है, और माँ नर्मदा के बिना कोई साधक सिद्धि प्राप्त नहीं कर सकता।”
मुख्यमंत्री ने इस दौरान 191 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया, जिनमें सड़क निर्माण, अमृत मिशन के तहत पेयजल आपूर्ति, छात्रावास और आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण शामिल हैं।
महोत्सव की भव्यता: दीपदान, शोभायात्रा और नृत्य नाटिका
सोमवार को मंगलाचरण और पूजन के साथ महोत्सव की शुरुआत हुई। सेठानी घाट पर रंगोली, चित्रकला और मेहंदी प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। शाम को नृत्य नाटिका का मंचन हुआ, जिसमें ‘कथा नर्मदा’ की प्रस्तुति विशेष आकर्षण का केंद्र रही।
मंगलवार सुबह नर्मदा जन्मोत्सव की पूजा प्राचीन नर्मदा मंदिर में संपन्न हुई। इसके बाद गणेश नर्मदा मंदिर, मोरछली चौक से भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो सेठानी घाट स्थित जल मंच तक पहुँची। पूरे मार्ग को झालर, तोरण और माला से सजाया गया था। इस दौरान भजनों में मां रेवा की महिमा गाई गई और हर-हर नर्मदे के जयघोष से समूचा शहर गुंजायमान हो उठा।
सेठानी घाट पर दीपदान और रोशनी का अद्भुत नजारा
सेठानी घाट सहित शहर के सभी घाटों को विद्युत साज-सज्जा से अलंकृत किया गया। इस वर्ष लाखों दीपक मां नर्मदा के जल में प्रवाहित किए गए, जिससे पूरी नदी झिलमिलाती रोशनी से भर उठी।
विशेष रूप से आटे के दीपक तैयार कर श्रद्धालुओं के बीच वितरित किए गए।
• लगभग दो लाख दीपक तैयार किए गए और विवेकानंद घाट, कोरी घाट, गोंदरी घाट सहित सभी घाटों पर वितरित किए गए।
• समाज के विभिन्न संगठनों ने इस आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई।
• दीपदान के दौरान मां नर्मदा की सीढ़ियों को आटे के दीपों से सजाया गया, जिससे घाट का सौंदर्य और बढ़ गया।
लेजर शो और आतिशबाजी से सतरंगी हुआ आसमान
महोत्सव के दौरान आकर्षक लेजर शो और भव्य आतिशबाजी का आयोजन किया गया।
• आसमान सतरंगी रंगों से नहा उठा और चारों ओर भक्ति संगीत की गूंज सुनाई दी।
• मां नर्मदाष्टक, आरती, मंत्र और भजनों से समूचा क्षेत्र भक्तिमय हो गया।
• सेठानी घाट और अन्य मंदिरों में घंटे-घड़ियालों की ध्वनि के साथ हर-हर नर्मदे के जयकारे गूंजते रहे।
सुरक्षा और यातायात व्यवस्था
महोत्सव को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए प्रशासन, पुलिस और यातायात विभाग पूरी तरह मुस्तैद रहा।
• हजारों पुलिस बल, होमगार्ड जवान और एसडीआरएफ की टीमें घाटों पर तैनात रहीं।
• गोताखोर और लाइफ जैकेट से लैस रेस्क्यू टीमें सक्रिय रहीं।
• यातायात पुलिस ने वाहन नियंत्रण और पार्किंग की विशेष व्यवस्था की।
• बेहतर नेटवर्क कनेक्टिविटी के लिए मोबाइल नेटवर्क बूस्टर लगाए गए।
मां नर्मदा के प्रसाद का वितरण
सेठानी घाट पर सामाजिक संगठनों और नर्मदा अंचल पत्रकार संघ द्वारा प्रसाद वितरण के स्टॉल लगाए गए।
• श्रद्धालुओं को हलवा, पूड़ी-सब्जी, पोहा सहित अन्य प्रसाद वितरित किए गए।
• पहले मां नर्मदा को भोग अर्पण कर बाहर से आए श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों को प्रसाद दिया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का संबोधन: श्रद्धा और विकास की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नर्मदापुरम में आयोजित इस भव्य आयोजन की सराहना की और प्रदेशवासियों से मां नर्मदा की आराधना करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा,
“मालवा की धरती को माँ नर्मदा का आशीर्वाद प्राप्त है। स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जो ‘नदी जोड़ो योजना’ का सपना देखा था, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी साकार कर रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने 191 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं का शुभारंभ करते हुए कहा कि विकास कोई राजनीति का मुद्दा नहीं होना चाहिए, बल्कि सभी दलों को जनहितैषी योजनाओं में सहयोग करना चाहिए।
उन्होंने सेठानी घाट के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा,
“जिस सेठानी ने इस घाट का निर्माण कराया, उन्हें मां नर्मदा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त हुआ होगा।”
निष्कर्ष: आस्था, उत्सव और विकास का अद्भुत संगम
नर्मदा जयंती महोत्सव सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति, सामाजिक एकता और विकास का प्रतीक बन चुका है। लाखों दीपों की रोशनी, भव्य शोभायात्रा, मंत्रों की गूंज, सतरंगी आतिशबाजी और मुख्यमंत्री द्वारा किए गए विकास कार्यों के शिलान्यास ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।
यह महोत्सव नर्मदापुरम को न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी एक नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रतीक बन गया